देश में बढ़ती आबादी को लेकर छिड़ी बहस के बीच इस पर नियंत्रण के लिए कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है। इस बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि वह ऐसे किसी कानून के समर्थन नहीं करेंगे, जिसमें दो बच्चे पैदा करने की सीमा तय कर दी जाए।

मीडिया से बातचीत में ओवैसी ने कहा, “हमें चीन की गलती नहीं दोहरानी चाहिए। मैं ऐसे किसी कानून का समर्थन नहीं करूंगा, जिसमें दो बच्चों की नीति बनाने की बात हो। मैं इस क़ानून का समर्थन नहीं करूंगा क्योंकि यह भारत के हित में नहीं।” उन्होंने कहा कि अब आप हेडलाइन चलाएंगे कि ओवैसी ने ऐसा कहा, जबकि मोदी सरकार ये बात कह चुकी है और सुप्रीम कोर्ट में ऐफ़िडेविट भी दाखिल किया जा चुका है।

AIMIM प्रमुख ने कहा, “भारत की जनसंख्या खुद ब खुद नीचे जा रही है और 2030 तक पॉपुलेशन स्थिर हो जाएगी, लेकिन जो चीख पुकार, जो पेट दर्द लोगों को हो रहा है। हमारे भारत की 50 फीसदी से कम आबादी 25 साल से कम उम्र के लोगों की है, कुछ तो करो उनके लिए। मोदी सरकार ने 8 साल में उनके लिए क्या किया?”

जनसंख्या वृद्धि के लिए मुस्लिम जिम्मेदार नहीं: इससे पहले ओवैसी ने कहा था कि जनसंख्या में इजाफे के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय गर्भ निरोधक का इस्तेमाल करने में सबसे आगे रहा है। दरअसल, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि किसी एक वर्ग की जनसंख्या ज्यादा बढ़ने से अराजकता फैल जाएगी और जनसंख्या का असंतुलन नहीं होना चाहिए।

असदुद्दीन ओवैसी ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, “उनके अपने हेल्थ मिनिस्टर का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए किसी कानून की जरूरत नहीं है। मुस्लिम ही गर्भ निरोधक उपायों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।’

क्या मुस्लिम भारत के निवासी नहीं: मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ने के सवाल पर ओवैसी ने कहा, “क्या मुस्लिम भारत के रहने वाले नहीं हैं? अगर हम सच्चाई देखें तो यहां के मूल निवासी को आदिवासी और द्रविड़ ही हैं।” उन्होंने कहा, “यूपी में बिना किसी कानून के ही फर्टिलिटी रेट में कमी 2026-30 के बीच देखने को मिल सकती है। भारत का फर्टिलिटी रेट लगातार कम हो रहा है। 2030 तक इसमें स्थिरता देखने को मिलेगी। हमें चीन की गलती नहीं दोहरानी चाहिए।”