Amit Shah Interview: बीजेपी पर मुसलमान प्रत्‍याशियों (Muslim Candidates) को टिकट नहीं देने का आरोप लगता रहा है। इस बार के भी यूपी चुनाव (UP Elections 2022) में पार्टी ने मुस्लिम प्रत्‍याशियों से परहेज किया है। यही ट्रेंड 2017 में भी देखने को मिला था। यह और बात है कि यूपी की राजनीति में मुसलमान वोटों (Muslim Vote Bank) की खासी अहमियत रही है। लेकिन, बीजेपी ने इस परंपरागत सोच से हटकर अलग लकीर खींची। पिछले विधानसभा चुनाव में उसने एक भी मुसलमान प्रत्‍याशी को टिकट नहीं दिया था। इस बार भी उसका वही रुख है। जब बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से इस बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने इसका दो-टूक जवाब दिया।

बीजेपी के चाणक्‍य कहे जाने वाले अमित शाह ने टीवी चैनल न्‍यूज18 को दिए इंटरव्‍यू में कई सवालों के खुलकर जवाब दिए। उनसे यह सवाल भी पूछा गया कि आखिर बीजेपी मुस्लिम प्रत्‍याशियों को टिकट क्‍यों नहीं देती है। जबकि पार्टी सबका साथ सबका विकास का नारा देती है। इस सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि कौन वोट देता है, यह भी देखना पड़ता है। यह राजनीतिक शिष्‍टाचार है। एक पार्टी होने के नाते चुनाव जीतना भी जरूरी है।

बीजेपी का मुसलमानों से क्‍या रिश्‍ता है?
अमित शाह से जब यह सवाल पूछा गया कि बीजेपी का मुसलमानों के साथ क्‍या रिश्‍ता है तो उन्‍होंने कहा कि सरकार और एक जिम्‍मेदार राजनीतिक दल के नाते उसका जो रिश्‍ता होना चाहिए वही रिश्‍ता है। चुनाव जीतने के बाद अगर उनके कल्‍याण में कोई भेदभाव हो तो आरोप लगाया जा सकता है। सरकार संविधान के आधार पर चलती है। वह चुनकर आती है। जो वोटरों के हाथ में होता है। राजनीतिक प्रतिनिधित्‍व भी इसके साथ ही जुड़ा हुआ है। कैराना और मुजफ्फरनगर में पलायन पर जब उनसे पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि यह मुद्दा आज भी है। अंतर यह है कि जो अब यहां आए हैं उन्‍हें जाना नहीं पड़ रहा है। कुल मिलाकर परिस्थितियां बहुत बदली हैं।

बीजेपी ने तोड़ा ट्रेंड
यूपी की राजनीति में हमेशा से मुसलमान वोटों की खासी अहमियत रही है। हर राजनीतिक दल की इस वोट बैंक पर नजर रहती है। खास तौर से मुस्लिम बहुल जिलों में सीटों को जीतने की लड़ाई काफी पेचीदा रहती है। हमेशा की इस परंपरागत लड़ाई से हटकर बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में एक बड़ा प्रयोग किया था। उसने एक भी मुसलमान प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया। इसके बावजूद आश्चर्यजनक तौर पर प्रदेश में एक बड़ी जीत हासिल की।

पिछले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल 29 जिलों की 163 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने 137 सीटें जीती थीं। दलितों के लिए आरक्षित 31 सीटों में बीजेपी को 29 सीटें मिली थीं। समाजवादी पार्टी इनमें से सिर्फ 21 सीटें जीत पाई थी और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन था। बसपा को सिर्फ एक सीट पर ही जीत नसीब हुई थी। एक-एक सीट आरएलडी और अपना दल को मिली थी।