भ्रष्टाचार के खिलाफ चले राष्ट्रव्यापी अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी (AAP) को नवंबर 2022 में 10 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में बड़े-बड़े धुरंधरों की जमानत जब्त कराने के बाद क्लीन स्वीप कर राज्य की सत्ता पर काबिज होकर AAP अब दोबारा राष्ट्रीय बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है। पार्टी की स्थापना के बाद पहले भी अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली समेत कई राज्यों में चुनाव लड़ा था, लेकिन दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों में उसे वैसी सफलता हाथ नहीं लगी थी।
अब दिल्ली और पंजाब में AAP सत्ता पर काबिज है और पार्टी, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में विस्तार पर फोकस कर रही है। पार्टी के नेता पंजाब की जीत से उत्साहित हैं और उनके बयान बताते हैं कि AAP अब आत्मविश्वास से लबरेज है और उसे पूरा भरोसा है कि जल्द ही राष्ट्रीय पटल पर उसका उदय हो जाएगा, लेकिन यह इतना आसान नहीं है, जितना AAP के नेताओं को लग रहा है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में इस मुद्दे पर कहा कि बीजेपी को चुनौती देने के लिए AAP को कम से कम 15 से 20 साल लग सकते हैं। प्रशांत किशोर 20 साल लंबे कालखंड का गणित समझाते हुए बताते हैं कि इसका अपना अर्थमैटिक है। 2019 आम चुनाव में AAP को 27 लाख वोट मिले, जबकि केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए किसी भी दल को 20 करोड़ या इससे ज्यादा वोट चाहिए। यह कुछ सालों में हासिल नहीं किया जा सकता है।
प्रशांत किशोर कहते हैं कि एक-दो राज्यों में चुनाव जीतकर एक शक्ति के तौर पर उभरना एक बात है, लेकिन लोकसभा चुनाव जीतना दूसरी बात। देश के राजनीतिक इतिहास में सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी ही ऐसे दो दल हैं, जो नेशनल बन सके हैं। अब इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई अन्य दल ऐसा नहीं कर सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए 15-20 साल तक लगातार प्रयास करना होगा। बीजेपी को ऐसा करने में 50 साल का समय लगा। बीजेपी ने 1978 से सफर शुरू किया था, उसके बाद आज वह यहां तक पहुंच पाई है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर कोई ऐसा समझ रहा है कि महंगाई या बेरोजगारी इस देश में कोई मुद्दा नहीं है तो वह गलत है। 38 प्रतिशत वोट पाने वाली पार्टी के साथ पूरा देश नहीं है, क्योंकि 62 प्रतिशत लोग तो महंगाई और बेरोजगारी को मुद्दा मानते हैं, मगर उस 62 प्रतिशत का वोट बंट रहा है।
प्रशांत किशोर से जब पूछा गया कि क्या पीएम मोदी की लोकप्रियता अब भी बरकरार है? इस पर प्रशांत किशोर ने कहा बिल्कुल, लेकिन आप लोकप्रिय होने के बाद भी चुनावों में हार सकते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि हिंदुत्व एक बड़ा फैक्टर है, लेकिन ध्रुवीकरण की भी एक सीमा होती है। एक सीमा से ज्यादा आप किसी भी समुदाय का ध्रुवीकरण नहीं कर सकते हैं। अगर ध्रुवीकरण इतना ही बड़ा फैक्टर होता तो बीजेपी को केवल 40 प्रतिशत वोट ही थोड़ा मिलता।