CAA को लेकर अमेरिका की टिप्पणी पर भारत सरकार ने कहा है कि जिनके पास भारत की बहुलवादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास के बारे में सीमित जानकारी है, उनको इस मुद्दे पर ज्ञान देने का प्रयास नहीं करना चाहिए.

नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को लागू करने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन पर अमेरिका की टिप्पणी पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019’ भारत का आंतरिक मामला है और यह भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया फैसला है. जिनके पास भारत की बहुलवादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास के बारे में सीमित जानकारी है, उनको इस मुद्दे पर ज्ञान देने का प्रयास नहीं करना चाहिए. केंद्र सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके तहत, तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी. CAA के तहत पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के मुस्लिम समुदाय को छोड़कर बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है.

CAA का नोटिफिकेशन जारी के होने के बाद अमेरिका ने गुरुवार को कहा था कि वह सीएए के नोटिफिकेशन को लेकर चिंतित है और इस पर नजर बनाए हुए है. नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था, “भारत ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन विधेयक का नोटिफिकेशन जारी किया है. इसको लेकर हम चिंतित हैं. हम इस पर नजर बनाए हुए हैं कि इस कानून को किस तरह से लागू किया जाएगा. धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और कानून के तहत सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांत हैं.”

भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी करते हुए कहा है, ” यह भारत का आंतरिक मामला है. CAA कानून अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों को सुरक्षित आश्रय देने के लिए है जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आ चुके हैं. यह कानून नागरिकता देने के लिए है. नागरिकता छीनने के लिए नहीं. यह कानून लोगों के मानवीय गरिमा और मानवाधिकारों का समर्थन करता है.

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा है, “जहां तक सीएए के नोटिफिकेशन पर अमेरिकी विदेश विभाग के बयान का संबंध है. हमारा मानना है कि यह (अमेरिका की टिप्पणी) गलत जानकारी वाला और अनुचित है. भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार को लेकर किसी भी चिंता का कोई आधार नहीं है. संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए उठाए गए किसी भी प्रशंसनीय पहल को वोट बैंक की राजनीति से नहीं देखा देना चाहिए.

बयान में आगे कहा गया है, जिनके पास भारत की बहुलवादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास के बारे में सीमित जानकारी है. उन्हें इस मुद्दे पर ज्ञान नहीं देना चाहिए. भारत के सहयोगी और शुभचिंतक देशों को भारत के इस कदम का स्वागत करना चाहिए.