सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश के अंतिम चरण के लिए वित्तीय बोलियां 15 सितंबर तक आने की उम्मीद है। बोली लगाने वालों में टाटा समूह (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रमोटर अजय सिंह (Ajay Singh) शामिल हैं। बोलियां जमा करने के बाद, कंपनी की बिक्री के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी की आवश्यकता होगी। एयर इंडिया को टाटा समूह ने ही शुरू किया था। अब 68 साल बाद एक बार फिर एयर इंडिया टाटा समूह की झोली में आने की उम्मीद जगी है।

​जेआरडी टाटा ने शुरू की थी कंपनी


जाने-माने उद्योगपति जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। ब्रिटेन की शाही रॉयल एयर फोर्स के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे जबकि जेआरडी टाटा और नेविल विंसेंट दूसरे और तीसरे पायलट थे। जेआरडी टाटा ने कराची से बंबई की उड़ान भरी थी। 15 अक्टूबर 1932 को इस उड़ान के दौरान उनके जहाज में डाक थी। बंबई के बाद नेविल विसेंट इस प्लेन को उड़ाकर चेन्नई ले गए थे।

​दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बदल गया कंपनी का नाम


टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा केवल उद्योगपति तक ही सीमित नहीं थे। एयरक्राफ्ट में उन्हें दिलचस्पी थी और 1929 में जेआरडी टाटा को पायलट का लाइसेंस मिला। वह भारत में पहले शख्स थे, जिन्हें पायलट का लाइसेंस इश्यू किया गया था। दूसरे विश्वयुद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं। जब फिर से विमान सेवाएं बहाल हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया।

​कब हुआ राष्ट्रीयकरण

आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी। 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया। अगस्त 1953 में सरकार ने सभी नौ निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। अब एयर इंडिया सरकार के हाथों से एक बार फिर निजी हाथों में जाने वाली है। सरकारी की योजना 2021 के आखिर तक इसे निजी हाथों में सौंप देने की है। टाटा समूह ने एयरएशिया इंडिया के माध्यम से एयर इंडिया के लिए बोली लगाई है और इसके अधिकारी पिछले कुछ महीनों में पूरे भारत में एयरलाइन साइट्स का दौरा कर रहे हैं।