कुतुब मीनार के पूर्व में हिंदू मंदिर होने का दावा हाल ही में विश्व हिंदू परिषद के एक नेता ने किया था। अब इसमें उस समय नया मोड़ आ गया जब एक पुरातत्वविद् ने कहा कि कुतुब मीनार के पास बनी मस्जिद का निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया। उनका कहना है कि अगर आप उसमें जाएंगे तो बहुत सारी मूर्तियां उसमें आज भी मिलेंगी। हालांकि वो कहते हैं कि कुतुब मीनार को बनाने में ऐसा कुछ नहीं किया गया।

केके मुहम्मद ने कहा कि कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद में भगवान गणेश समेत दूसरे देवताओं की मूर्तियां हैं। कुव्वत उल इस्लाम से पहले वहां हिंदू और जैन स्टाइल का स्ट्रक्चर था। 27 मंदिरों को तोड़कर इसका निर्माण किया गया। मंदिरों को तोड़ने का काम 1192 से शुरू हो गया था। लेकिन उनका ये भी कहना है कि कुतुब मीनार विशुद्ध इस्लामिक स्ट्रक्चर है। ध्यान रहे कि केके मोहम्मद सुप्रीम कोर्ट की उस समिति में थे, जिसने बाबरी मस्जिद के ढहने के बाद खुदाई की थी।

इतिहास में कुतुब मीनार को बनाने का श्रेय गुलाम वंश के शासक को दिया जाता है। मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण शुरू कराया था। लेकिन उसके शासन काल में केवल तहखाने को ही पूरा कर सका। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने तीन और मंजिलें जोड़ीं पर फिर भी मीनार पूरी नहीं बन सकी। 1368 में जब फिरोज शाह तुगलक ने पांचवीं और आखिरी मंजिल का निर्माण किया तब कहीं जाकर ये ऐतिहासिक ईमारत पूरी हो सकी।

पुरातत्वविद् ने कहा कि कुतुब मीनार के पास मंदिरों के अवशेष पाए गए हैं। वहां लगभग 27 हिंदू मंदिर थे। इन मंदिरों के खंडहरों पर कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण उन्हीं तत्वों का उपयोग करके किया गया था। अरबी शिलालेख कहते हैं कि 27 मंदिरों को एक मस्जिद बनाने के लिए नष्ट कर दिया गया था।

केके मोहम्मद ने कहा कि अयोध्या का राम मंदिर काफी पहले ही बन जाता लेकिन वामपंथियों की वजह से ऐसा नहीं हो सका। अयोध्या के मुसलमान मंदिर के लिए जमीन देने को तैयार थे। कुछ वाम विचारधारा के लोगों ने मुस्लिमों को भड़काया जिससे वो जमीन न देने पर अड़ गए। ये कवायद बिलकुल गलत थी।