Monday, December 30, 2024
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अब IAS नहीं रही पूजा खेडकर… UPSC ने उनके फ्यूचर में एग्‍जाम को लेकर भी ल‍िया बड़ा फैसला

IAS Puja Khedkar: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी है. उन पर UPSC की सभी भावी परीक्षाओं/चयनों से भी स्थाई रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. उपलब्ध अभिलेखों की जांच के बाद यूपीएससी ने खेडकर को CSE-2022 नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है. यूपीएससी ने वर्ष 2009 से 2023 तक पंद्रह हजार से अधिक अनुशंसित उम्मीदवारों के सीएसई डेटा के 15 वर्षों की समीक्षा की है.

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा 18 जुलाई, 2024 को सिविल सेवा परीक्षा-2022 (सीएसई-2022) की अनंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवार पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को अपनी पहचान को गलत तरीके से पेश करके परीक्षा नियमों में निर्धारित अनुमेय सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया था. उन्हें 25 जुलाई, 2024 तक एस.सी.एन. में अपना जवाब प्रस्तुत करना था. हालांकि, उन्होंने 04 अगस्त, 2024 तक का अतिरिक्त समय मांगा, ताकि वे अपने जवाब के लिए आवश्यक डॉक्सयूमेंट्स जमा कर सकें.

यूपीएससी ने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उन्हें 30 जुलाई, 2024 को दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया गया, ताकि वे एस.सी.एन. में अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें. पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को यह भी स्पष्ट रूप से बता दिया गया कि यह उनके लिए अंतिम अवसर है और समय में कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा. उन्हें स्पष्ट शब्दों में यह भी बताया गया कि यदि उपरोक्त तिथि/समय तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यूपीएससी उनसे कोई और संदर्भ लिए बिना आगे की कार्रवाई करेगा. उन्हें दिए गए समय में विस्तार के बावजूद, वे निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रहीं.

यूपीएससी ने उपलब्ध अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच की है और उसे सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन में कार्य करने का दोषी पाया है. सीएसई-2022 के लिए उसकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उसे यूपीएससी की सभी भावी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है.

पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले की पृष्ठभूमि में यूपीएससी ने वर्ष 2009 से 2023 तक यानी 15 वर्षों के लिए सीएसई के 15,000 से अधिक अंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवारों के उपलब्ध आंकड़ों की उनके द्वारा प्राप्त प्रयासों की संख्या के संबंध में गहन जांच की है. इस डिटेल प्रैक्टिस के बाद सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को छोड़कर किसी अन्य उम्मीदवार को सीएसई नियमों के तहत अनुमत संख्या से अधिक प्रयासों का लाभ उठाते हुए नहीं पाया गया है. पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के एकमात्र मामले में यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उसके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी कि उसने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था. यूपीएससी एसओपी को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा न हो.

जहां तक ​​झूठे सर्टिफिकेट (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों) जमा करने की शिकायतों का सवाल है, यूपीएससी यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह सर्टिफिकेटों की केवल प्रारंभिक जांच करता है, जैसे कि क्या सर्टिफिकेट सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, जिस वर्ष का सर्टिफिकेट संबंधित है, सर्टिफिकेट जारी करने की तारीख, क्या सर्टिफिकेट पर कोई ओवरराइटिंग है, सर्टिफिकेट का फॉर्मेट आदि. आम तौर पर, यदि सर्टिफिकेट सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, तो उसे असली माना जाता है. यूपीएससी के पास हर साल उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए हजारों सर्टिफिकेट की सत्यता की जांच करने का न तो अधिकार है और न ही साधन. हालांकि, यह समझा जाता है कि सर्टिफिकेट की वास्तविकता की जांच और सत्यापन का कार्य कार्य सौंपे गए प्राधिकारियों द्वारा किया जाता है.